प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी गणेशोत्सव के दौरान राजधानी
दिल्ली के द्वारका उपनगर में कवि सम्मेलन आयोजित किया गया.
महाराष्ट्र मित्र मंडल के तत्वावधान में 20 सितम्बर को आयोजित इस कवि
सम्मेलन का सफल संचालन लब्ध्प्रतिष्ठ कवियित्री डा. कीर्ति काले ने किया. क़वि
सम्मेलन के मुख्य अतिथि पूर्व सी बी आई निदेशक श्री जोगिन्दर सिंह थे व विशिष्ट
अतिथि विधायक करण सिंह तंवर थे.
कवि सम्मेलन का प्रारम्भ कीर्ति काले की सरस्वती वन्दना के
साथ हुआ. इसके बाद ओज के कवि रमेश गंगेले अनंत जी ने वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था पर
चुटीले काव्यात्मक प्रहार किये.उन्होने संसद ठप्प होने पर प्रश्न उठाते हुए नेताओं
की भी खबर ली. तदुपरांत डा.अरविन्द चतुर्वेदी ने अपनी हास्य गज़ल के साथ ताज़ा
रूमानी गज़लों के सस्वर पाठ से श्रोताओं की वाह वाही लूटी.
अलवर से पधारे ब्रज भाषा के सशक्त हस्ताक्षर डा. रमेश
बांसुरी ने अपनी ब्रज भाषा के छंदों के
साथ साथ अपनी प्रसिद्ध रचना “सोने की होती तो का करती ,अभिमान करै देखो बांस की
जाई” सुनाकर उपस्थित समुदाय का दिल जीत लिया.
हास्य-व्यंग्य के प्रसिद्ध
कवि भोपाल से पधारे उमेश उपध्याय जी ने हास्य रचनाओं के साथ अपनी प्रतिनिधि रचना “
शास्त्रीय संगीत सम्मेलन उर्फ बाजू-बन्ध खुल खुल जाय” प्रस्तुत की.
इसके बाद कवि सम्मेलन में समां बान्धने हेतु डा. कीर्ति
काले ने जिम्मेदारी सम्भाली तथा मधुर गीतों की बौछार से आमंत्रित जनता को रसाविभोर
कर दिया. उनकी रचनायें –‘ ऐसा सम्बन्ध जिया मैने,जिसमें कोई अनुबन्ध नहीं” तथा ‘ फिर हृदय के एक कोने से कोई कुछ बोल जाता है” बहुत
सराही गयी.
अंत में जयपुर से आये वरिष्ठ कवि सुरेन्द्र दुबे ने एक के
बाद एक हास्य व्यंग्य की रचनाओं से मध्य रात्रि तक श्रोताओं को बान्धे रखा.
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